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SVSM - Uttarkashi

देवभूमि उत्तराखण्ड अनेक दिव्य महापुरुषों,आचार्यों,सन्तों,ब्राह्मणों तथा तपस्वियों की तपस्थली रही है । इस पुण्यभूमि का ही आकर्षण समझिए कि यहां पर अनेक तपस्वी आये और उन में से कुछ यहीं के बनकर रह गये ।उन तपस्वियों में से एक तपस्वी बंगाल भूमि से तप हेतु उत्तरकाशी आये जिनका नाम था स्वामी ब्रह्मस्वरूपानंद । उन्होंने उजेली नामक स्थान जो आज कलक्ट्रेट के पास ही है, में गुरुकुल की स्थापना की और आस-पास के विद्वान् ब्रह्मणों को आचार्य नियुक्त किया ।
विषम भौगोलिक परिस्थिति,संसाधनों का अभाव,धन की कमी आदि को दूर करते हुए इसे संस्कृत विद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित किया और निरंतर अपने ज्ञान के प्रकाश के साथ आचार्यों के सहयोग से संचालित किया । यह विद्यालय बच्चों की संस्कार भूमि तथा जनमानस की शिक्षा -पिपासा को शांत करने का केन्द्र बना जिससे निकलकर सैकडों छात्रों का भविष्य उज्ज्वल हुआ और समाज को आदर्श नागरिक मिले ।
उनकी चहुंमुखी ख्याति से यह नगरी धन्य-धन्य हो गयी ।कालांतर में बंगाल प्रदेश से ही एक इंजीनियर युवक इस नगरी के अलौकिक सौन्दर्य को निहारने तथा तीर्थाटन हेतु आया और स्वामी जी से मिला । उनकी तपस्या से तपपूत होकर यहीं पर स्वामी जी से सन्यास लेकर इस गुरूकुल की सेवा में तल्लीन हो गया । उनका नाम रखा गया स्वामी अखण्डानंद । जिन्होंने कई वर्षों तक अनंतस्मृतिभवन में होमियोपैथी से जनपद के नागरिकों की चिकित्सा की ओर इस गुरुकुल को संस्कृत का स्नातकोत्तर महाविद्यालय बनाया ।
उनकी अखंड सेवा एवं साधना से आज यह महाविद्यालय उन्नति के शिखर पर आरूढ है । यहां के विद्यार्थी आज प्रशासनिकअधिकारी,प्रोफेसर,शिक्षक,प्रवक्ता,ज्योतिषी,कर्मकांडी,संगीतज्ञ तथा समाज के विभिन्न विभागों में कार्यरत होकर देश की सेवा कर रहे हैं ।स्वामी जी के ब्रह्मलीन होने के उपरांत तपोमूर्ति, गीता आश्रम के परमाध्यक्ष श्रीमत् स्वामी कमलेशानंद,पूजनीया माता ब्रह्मज्योति(मुनी माई),केदार मंदिर के संरक्षक वैष्णव स्वामी भगवानदास जी महाराज का आशीर्वाद इस महाविद्यालय को प्राप्त हुआ तथा उनकी अध्यक्षता में यह निरंतर विकास की ओर अग्रसर हुआ ।महाविद्यालय का अहोभाग्य कि इसे परमार्थ निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष,लाइफटाइम अचीवमे़ट अवार्ड भारत गौरव से सम्मानित,अन्तर्राष्ट्रीय लब्धप्रतिष्ठ,अनंतश्रीविभूषित, प्रात:स्मरणीय,परमश्रद्धेय स्वामी चिदानंद मुनि जी महाराज का आश्रय प्राप्त हुआ ।कई वर्षों से उनकी अध्यक्षता में 350 विद्यार्थियों से युक्त यह महाविद्यालय प्रथमा से आचार्यपर्यंत शिक्षा देता आ रहा है ।उनके श्रीचरणों की कृपा से 100 से भी अधिक छात्र छात्रावास में रहकर नि:शुल्क भोजन प्राप्त कर रहे है। अनेक दानी महापुरुष आवासीय छात्रों के हित के लिए वेशभूषा,पुस्तकें, स्वच्छता आदि हेतु अपने सामर्थ्य के अनुसार दान देते आ रहे हैं तथा कतिपय महापुरुषों ने आर्थिक समस्या से ग्रस्त ब्राह्मण बालकों का वर्षभर की शिक्षा का भार भी उठाया है ।महाविद्यालय उनका ऋणी है । यह महाविद्यालय शासन की इच्छा एवं व्यवस्था के कारण अब दो भागों में पठन-पाठन की ओर अग्रसर है जिसमें एक भाग उत्तरमध्यमा विद्यालय अर्थात् माध्यमिक स्तर का है तथा दूसरा भाग शास्त्री एवं आचार्य कक्षाओं -बी-ए तथा एम-ए का है जो स्नातकोत्तर कक्षाओं का पठन-पाठन कराएगा । शासन की इस व्यवस्था को देखते हुए परमपूज्य स्वामी चिदानंद महाराज ने स्नातकोत्तर कक्षाओं हेतु अनंतस्मृति भवन के अन्तर्गत 8 कक्षा-कक्षों सहित एक बडे बरामदे के निर्माण की स्वीकृति दी है जिस पर आगे काम प्रारंभ होने जा रहा है ।
उत्तराखंड तथा अन्य प्रदेशों से आने वाले सज्जनों,महात्माओं, सन्यासियों,संतो एवं अधिकारियों से आग्रह है कि वे एक बार अवश्य इस महाविद्यालय में पधारे । यहां की शिक्षा-दीक्षा,भोजन-आवास आदि का अवलोकन करें तथा अपनी कृपा से इस विद्यालय को सनाथित करें ।अपने उदार हृदय से इस तपोभूमि में पठन-पाठन में तत्पर छात्रो के लिए मंगल कामना करें ।

संगठित और उत्तम शैक्षिक वातावरण

"यह कॉलेज अत्यंत संगठित और शैक्षिक दृष्टि से उत्कृष्ट है। यहाँ के शिक्षक बहुत ही योग्य और समर्पित हैं। संस्कृत के पाठ्यक्रम को समझने में आसानी होती है और यहाँ की पुस्तकालय में हर प्रकार की सामग्री उपलब्ध है।"

समृद्ध सांस्कृतिक और शैक्षिक अनुभव

"यह कॉलेज संस्कृत के अध्ययन के लिए एक बेहतरीन स्थान है। यहाँ पर न केवल शैक्षिक गतिविधियाँ होती हैं, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से संस्कृत की समृद्ध विरासत को भी समझने का अवसर मिलता है।"

उत्कृष्ट सुविधाएँ और वातावरण

"कॉलेज का वातावरण बहुत ही शांत और प्रोत्साहक है। यहाँ की सुविधाएँ, जैसे पुस्तकालय, लैब्स और वाई-फाई, छात्रों के लिए बहुत सहायक हैं। छात्रों को हर दृष्टि से अच्छे संसाधन मिलते हैं।"

उत्तम शिक्षण और मार्गदर्शन

"यहाँ के शिक्षक विद्यार्थियों को हर पहलू में मार्गदर्शन करते हैं। संस्कृत की गहरी समझ और पारंपरिक ज्ञान को लेकर उनके दृष्टिकोण बहुत प्रेरणादायक हैं। मैं यहाँ के शिक्षण से बहुत संतुष्ट हूँ।"

सर्वांगीण विकास के अवसर

"इस कॉलेज में केवल संस्कृत की शिक्षा नहीं दी जाती, बल्कि छात्रों का सर्वांगीण विकास भी होता है। शैक्षिक उत्कृष्टता के साथ-साथ यहाँ व्यक्तिगत विकास, नैतिक शिक्षा और संस्कृत से जुड़ी अन्य गतिविधियाँ भी करवाई जाती हैं।"

डा० देवेन्द्र दत्त पैन्यूली
सेवानिवृत प्रोफेसर
प्रबंधक
श्री विश्वनाथ संस्कृत उ०विद्यालय,उत्तरकाशी

डा०राधेश्याम खंडूडी
सेवानिवृत शिक्षक
उपाध्यक्ष
श्री विश्वनाथ संस्कृत उ०विद्यालय,उत्तरकाशी ।
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Shri Vishwanath Sanskrit Mahavidyalsya (SVSM) - Uttarkashi students